Monday, November 24, 2008

ये आलम इश्क का है,
न खबर किसी और बात की है
आया था खुदा भी सामने एक दिन
पर हमें फुरसत कहाँ थी!

2 comments:

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत खूब!!

Prakash Badal said...

ख़ुदा भी आय था पर हमे फुरसत कहां थी बढ़िया है