Thursday, November 11, 2010

:)

तुमको जब भी करीब पाती हूँ
मैं हर गम को भूल जाती हूँ !

Monday, September 6, 2010

बरसाते

कभी अच्छी लगती थी बरसाते मुझे
जब तेरे प्यार कि बारिश में भीगती थी मैं
आज भी अच्छी लगती हैं बरसाते
जब जी भर रोने को बारिश में भीगती हूँ मैं!

Monday, August 23, 2010


ये मोहब्बत कि राह भी अजीब हैं
जब लगा मंजिल मिल गयी पता चला
अभी तो सफ़र शुरू हुआ ही नहीं !

Tuesday, August 3, 2010

प्यार मत करना

माँ कहती थी
प्यार मत करना
पापा कहते थे
लड़कों से दूर ही रहना
दीदी कहती थी
पापा का नाम खराब मत करना
हमारे जैसे घरों कि लड़कियां प्यार नहीं करती!

पर माँ-पापा-दीदी आपने ये तो कभी बताया ही नहीं
कि जब मन किसी से बंधने लगे तो क्या करना,
जब कोई बिना बताये ज़िन्दगी में शामिल हो जाये
तो उसको कैसे बाहर करना
और आपने ये भी तो नहीं बताया
कि प्यार न होने के लिए क्या करना?

Monday, July 26, 2010

पल



अंधियारी रात में
सड़क के किनारे
लेम्पपोस्ट के नीचे झरती
मद्धम मद्धम रौशनी में
बेंच पर बैठे
एक दूसरे को देखते
कुछ मुस्कुराते
कुछ आंसू लाते
कुछ बेफिक्र से बहते
कुछ गाते से पल
आँखों में ऐसे बस गए हैं
जैसे सीप में मोती !

Sunday, March 21, 2010

क्यों भाई क्यों

यह कविता मेरे बचपन की सबसे सुनहरी स्मृति है. जो मुझे आज तक याद है. इस कविता के साथ ही मैने पहली बार मंच पर अकेले प्रस्तुति दी थी 15 अगस्त के अवसर पर. तब मैं कक्षा 5 में पढ़ती थी. इस कविता के बाद से विद्यालय में सब मुझे "क्यों भाई क्यों" के नाम से बुलाने लगे थे. यह कविता आज़ादी के काल की है गाँव गाँव में आज़ादी की अलख जगायी और इस कविता का अनेक भाषाओं में अनुवाद भी किया गया. कविता के बोल पूरी तरह से मुझे याद नही फिर भी कोशिश कर रही हूँ आप सबसे साथ इसे बाँटने की-

क्यों भाई क्यों
क्यों क्यों क्यों?

आसमान में इतने सारे
चमचम क्यूँ करते हैं तारे
इंद्रधनुष के सातों रंग हमें
लगे क्यूँ इतने प्यारे?

क्यों भाई क्यों
क्यों क्यों क्यों?

जवा कुसुम एक अकेला
होता क्यूँ है इतना लाल
झिलमिल झिलमिल करता रहता
जूही-चमेली का क्यों जाल?

क्यों भाई क्यों
क्यों क्यों क्यों?

फ़र फ़र कोवे तोते
आसमान में क्यों उड़ जाते
बिल्ली मौसी के बालों में पंख
नही फिर क्यों उग आते?

क्यों भाई क्यों
क्यों क्यों क्यों?

छोटे छोटे रामू राधा
रोज फिरे क्यूँ माँ के साथ
बर्तन घिसते, डाँटे सुनते
फिर भी नंगें , फैले हाथ?

क्यों भाई क्यों
क्यों क्यों क्यों?

क्यूँ है भूख ग़रीबी क्यों है
क्यों अनपढ़ है,निर्धन क्यों है
क्यों ना मिले न्याय सभी को
क्यों फैला है भ्रष्टाचार ?

क्यों भाई क्यों
क्यों क्यों क्यों?

आओ हम सब मिलके सोचे
हम सब एक परिवार
किसने की है बम की साज़िश
क्यों इतने सारे हथियार?

ले भाई ले हम सब ले!

Thursday, February 18, 2010


चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

एक कतरा आकाश, एक कतरा धरती,
दो किरणे सूरज,दो किरणे चांदनी की,
और बस दो बूँद तेरे इश्क की काफी है
ज़िन्दगी मुक्कमल करने के लिए !