Friday, November 20, 2009

माय री ना तू मेहंदी लगाने की जिद कर
मुझे पहले से चढ़ा इश्क की मेहंदी का रंग
जो किसी दुकान में ढूंढे ना मिले
और जिसका रंग कभी ना फीका पड़े !

Sunday, September 20, 2009

तेरी नींद के लिए लुटाने पड़े
सपने मेरे ख़ज़ाने से तो सौदा बुरा नहीँ
तेरी आँखों की चमक के लिए लेनी पड़े
रोशनी उधार सूरज से तो भी सौदा बुरा नही
तेरी एक हँसी के लिए थामे रखने पड़े
आँसू अपनी आँखों मे तो भी सौदा बुरा नहीं!

Friday, September 4, 2009

तुमसे मिलने

आऊँगी मैं तुमसे मिलने
लाँघकर चीन की दीवार
तैर कर हिंद महसागर
पार कर अफ्रीका के जंगल भी
चढ़ कर एवरेस्ट की छोटी
उड़ कर आकाश में भी
नही झिझकुंगी एक बार भी
बनाने कबूतर को संदेशवाहक
या उल्लू को पथ प्रदर्शक में
मैं चिड़िया के पँखो पर हो सवार
आकाश पार कर तुमसे मिलने आऊँगी
मैं डाल्फिन पर बैठकर
सागर की गहराइयों को पार कर तुमसे मिलने आऊँगी
मैं जुगनू को साथ लेकर
अंधेरी रात में तुमसे मिलने आऊँगी !

Tuesday, May 12, 2009

माँ

माँ 

दिया तुमने मुझे वरदान जीवन का 
दी तुमने ही मुझे ये हसीन ज़िंदगी 
आई मैं इस दुनिया में तुम्हारा दामन थामकर 
सीखा है चलना मैने तुम्हारी उंगली पकड़कर 
खोली जब आँखे मैने तुम्हे ही देखा था पहली बार 
मेरी एक हँसी पर तुम वारी जाती थी 
मेरे एक आँसू पर तुम घबरा सी जाती थी 
मेरी एक छींक पर तुमने सारी रात जागकर काटी
मेरी एक ज़िद पर तुम दुनिया सारी ला देती 
माँ ही बोला था मैने जीवन का पहला शब्द 
तब तुम्हारी आँखो में एक चमक सी आई थी! 

माँ 
दिया तुमने मुझे वरदान जीवन का 
दी तुमने ही मुझे ये हसीन ज़िंदगी 
खेलती है होंठो पर मेरे तुम्हारी ही मुस्कान 
वाणी से मेरी निकलते हैं तुम्हारे ही सुर
झलकती है चेहरे से तुम्हारी सी आभा 
धैर्य है मुझमे तुम्हारे ही जैसा 
घटा है कशों मे मेरे तुम्हारे जैसी 
हृदय में है मेरे तुम्हारे जैसा प्यार 
बातों में है मेरे तुम्हारी जैसी शुचिता 
संस्कार है मुझमे तुम्हारे ही दिए हुए 
लय है ज़िंदगी में तुम्हारे जैसी. 

माँ 
दिया तुमने मुझे वरदान जीवन का 
दी तुमने ही मुझे ये हसीन ज़िंदगी!

Monday, April 20, 2009

इंतज़ार

थी मैं कितनी अधीर
तुमसे मिलने से पहले
इंतज़ार मुझे काटने को दौड़ता था
एक एक पल सदियों पुराना लगता था
हँसती थी मैं उन पर
जो इंतज़ार की राह में बैठे होते थे
और कहती थी
इंतज़ार से बड़ा पागलपना और क्या होगा एस दुनिया में?
पर तुमसे मिलने के बाद
पहली बार लगा
इंतज़ार का मज़ा ही कुछ और है
ना दिन, ना हफ्ते, ना महीने
बल्कि कई सालों तक किया जा सकता है इंतज़ार
आज बरसों बीत गये
मुझे तुम्हारा इंतज़ार करते हुए
पर तुम भी तक नही आए
ना ही तुम्हारी कोई खबर आयी
पर फिर भी हूँ मैं
बैठी इंतज़ार की राह में
और आज गुज़रता हुआ एक शख़्स बोला
इंतज़ार से बड़ा पागलपना और क्या होगा एस दुनिया में
और हंसकर मेरे करीब से गुज़र गया!