माय री ना तू मेहंदी लगाने की जिद कर
मुझे पहले से चढ़ा इश्क की मेहंदी का रंग
जो किसी दुकान में ढूंढे ना मिले
और जिसका रंग कभी ना फीका पड़े !
Friday, November 20, 2009
Posted by सुरभि at 7:15 PM 5 comments
Sunday, September 20, 2009
तेरी नींद के लिए लुटाने पड़े
सपने मेरे ख़ज़ाने से तो सौदा बुरा नहीँ
तेरी आँखों की चमक के लिए लेनी पड़े
रोशनी उधार सूरज से तो भी सौदा बुरा नही
तेरी एक हँसी के लिए थामे रखने पड़े
आँसू अपनी आँखों मे तो भी सौदा बुरा नहीं!
Posted by सुरभि at 10:00 PM 4 comments
Friday, September 4, 2009
तुमसे मिलने
आऊँगी मैं तुमसे मिलने
लाँघकर चीन की दीवार
तैर कर हिंद महसागर
पार कर अफ्रीका के जंगल भी
चढ़ कर एवरेस्ट की छोटी
उड़ कर आकाश में भी
नही झिझकुंगी एक बार भी
बनाने कबूतर को संदेशवाहक
या उल्लू को पथ प्रदर्शक में
मैं चिड़िया के पँखो पर हो सवार
आकाश पार कर तुमसे मिलने आऊँगी
मैं डाल्फिन पर बैठकर
सागर की गहराइयों को पार कर तुमसे मिलने आऊँगी
मैं जुगनू को साथ लेकर
अंधेरी रात में तुमसे मिलने आऊँगी !
Posted by सुरभि at 1:42 AM 7 comments
Tuesday, May 12, 2009
माँ
माँ
Posted by सुरभि at 12:43 PM 9 comments
Monday, April 20, 2009
इंतज़ार
थी मैं कितनी अधीर
तुमसे मिलने से पहले
इंतज़ार मुझे काटने को दौड़ता था
एक एक पल सदियों पुराना लगता था
हँसती थी मैं उन पर
जो इंतज़ार की राह में बैठे होते थे
और कहती थी
इंतज़ार से बड़ा पागलपना और क्या होगा एस दुनिया में?
पर तुमसे मिलने के बाद
पहली बार लगा
इंतज़ार का मज़ा ही कुछ और है
ना दिन, ना हफ्ते, ना महीने
बल्कि कई सालों तक किया जा सकता है इंतज़ार
आज बरसों बीत गये
मुझे तुम्हारा इंतज़ार करते हुए
पर तुम भी तक नही आए
ना ही तुम्हारी कोई खबर आयी
पर फिर भी हूँ मैं
बैठी इंतज़ार की राह में
और आज गुज़रता हुआ एक शख़्स बोला
इंतज़ार से बड़ा पागलपना और क्या होगा एस दुनिया में
और हंसकर मेरे करीब से गुज़र गया!
Posted by सुरभि at 4:47 PM 2 comments