Sunday, September 20, 2009

तेरी नींद के लिए लुटाने पड़े
सपने मेरे ख़ज़ाने से तो सौदा बुरा नहीँ
तेरी आँखों की चमक के लिए लेनी पड़े
रोशनी उधार सूरज से तो भी सौदा बुरा नही
तेरी एक हँसी के लिए थामे रखने पड़े
आँसू अपनी आँखों मे तो भी सौदा बुरा नहीं!

4 comments:

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया भाव !!

M VERMA said...

खूबसूरत भाव
वाकई ये सौदा बुरा नही है.

Udan Tashtari said...

बेहतरीन भाव!!

संजय भास्‍कर said...

हर शब्‍द में गहराई, बहुत ही बेहतरीन प्रस्‍तुति ।