Friday, December 12, 2008

अलगनी में सुखाये थे कुछ ख्वाब धूप में मैंने,
बोलो सूरज क्या तुमने देखे हैं?
बुने थे कुछ सपने मैंने दिन ढले,
क्या चाँद तुमने ओढे हैं?
तह कर अलमारी में सजाया मैंने तब भी
चोरी हुए सब ख्वाब मेरे ,
तब मैंने ख्वाबो का एक कमरा बनाया
पर लगता है उसमे भी कोई आया
गुमसुम क्यूँ हो रोशनदान कहीं तुमने तो नहीं चुराए सब ख्वाब मेरे!

Monday, November 24, 2008

ये आलम इश्क का है,
न खबर किसी और बात की है
आया था खुदा भी सामने एक दिन
पर हमें फुरसत कहाँ थी!

Thursday, November 20, 2008

अच्छा हुआ मुझे प्यार नही हुआ!

अच्छा हुआ मुझे प्यार नही हुआ,
वरना देखने पड़ते
कितने टूटे हुए ख्वाब
जो मेरे लिए ही बुने गये थे
और चुभती जिनकी किरचे भी
मेरे ही दिल मे.

अच्छा हुआ मुझे प्यार नही हुआ
वरना ना जाने
कितने चेहरे हो जाते उदास
जो मुझे देखकर खिल उठते थे
और उनसे छलनी हो जाता
मेरा ही हर्दय.

अच्छा हुआ मुझे प्यार नही हुआ
वरना ना जाने कितनी ही बातें बनती
व्यंग्य भी कसे जाते मुझ पर
और पहली बार
मुझे सबकुछ चुप चाप सहना पड़ता.

अच्छा हुआ मुझे प्यार नही हुआ
वरना देखनी पड़ती
कितनी ही तिरछी नज़रें
अपने ही प्रियजनो की
और सहना पड़ता
मुझे अपनो की प्रताड़ना को.

अच्छा हुआ मुझे प्यार नही हुआ
वरना मैं कर देती विश्वासघात
अपने ही घरवालों से
जो मेरे अपने थे
और उमर भर के लिए
मैं हो जाती सबसे पराई

और सब तो अच्छा ही हुआ
पर सबसे बुरा हुआ है ये
ना जाने कितने ही अफ़साने
बनने से पहले ही बिगड़ गये!

Tuesday, November 11, 2008

रात आये तुम्हे नींद की दुनिया में ले जाये
तुम भूल जाओ सब चिंता और परेशानियों को
ना आये कोई स्वपन भी आज तुम्हे सताने को!
आना है तो बस आकर चंदा तुम्हे लोरी सुना जाये,
जुगनू और सितारे भी आज कहीं छुप जाएँ!!

Tuesday, November 4, 2008

जब दिन ढला और रात आकर तुम्हे ले गयी,
तब पहली बार लगा मुझे सूरज से ज्यादा प्यार है !

आज चाँद शायद कुछ खोया खोया था
सूरज भी कुछ मंदा था
न धूप में गर्मी थी ना ओस में नमी थी
जुगनुओ की टोली भी कुछ बुझी बुझी सी थी
कोयल की बोली की मीठास कम थी या शहद की पता नहीं
पर आज सब कुछ कहीं न कहीं आधा अधूरा सा था
कहीं आज तुम मुस्कुराना तो नहीं भूल गए थे?