आज चाँद शायद कुछ खोया खोया था
सूरज भी कुछ मंदा था
न धूप में गर्मी थी ना ओस में नमी थी
जुगनुओ की टोली भी कुछ बुझी बुझी सी थी
कोयल की बोली की मीठास कम थी या शहद की पता नहीं
पर आज सब कुछ कहीं न कहीं आधा अधूरा सा था
कहीं आज तुम मुस्कुराना तो नहीं भूल गए थे?
Tuesday, November 4, 2008
Posted by सुरभि at 12:39 AM
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14 comments:
खूबसूरत... स्वागत है वर्चुअल स्पेश में
सुस्वागतम
तुम्हारी आँखों उदासी देख
चांद भी खो गया था, सूरज भी मंदा था
कोयल की बोली में मिठास भी कम हो गई
तो मैं भला कैसे मुस्कुरा पाता?
हाँ सचमुच मैं मुस्कुराना भूल गया..
सुरभिजी आपका हार्दिक स्वागत है।
॥दस्तक॥
गीतों की महफिल
तकनीकी दस्तक
इस पर उस गाने की पन्क्तियां याद आरही हैं
तू मुस्करा दे तो जाती बहार आजाये ।
कम लेकिन बहुत अच्छा लिखा है । लिख्ते रहिए ।
मेरे ब्लोग पर आकर भी कविता, गज़ल,शेर आदि का आनन्द लेसकते हैं ।
chalo thik hai, kalyan ho
narayan narayan
आज सब कुछ कहीं न कहीं आधा अधूरा सा था
कहीं आज तुम मुस्कुराना तो नहीं भूल गए थे?
हार्दिक स्वागत
Bahut sundar !
विजयराज चौहान (गजब)
http://hindibharat.wordpress.com/
http://e-hindibharat.blogspot.com/
http://groups.google.co.in/group/hindi-bharat?hl=en
kavita to achhi hai lekin koyel ki boli kya apko sunane ko milati hai?
wah.....aapki kavita padi to laga mujhe bhi kavita lakhni chahiye lakin....karna aasan nahi hai...
kash main bhi aapne bhawo ko shabdo main piro pata....to ...to...shayad main bhi kavita kar pata...
likhte rahe ...lakhni ko aapni pahchan banaye....
mere blog par aapka swagat hai....
jai ho...mangalmay ho
पर आज सब कुछ कहीं न कहीं आधा अधूरा सा था
कहीं आज तुम मुस्कुराना तो नहीं भूल गए थे
सुरभि जी
सुंदर कल्पना, अच्छा लेखन
मेरे ब्लोग पर आकर भी आनन्द लेसकते हैं
ब्लोगिंग जगत में आपका हार्दिक स्वागत है. लिखते रहिये. दूसरों को राह दिखाते रहिये. आगे बढ़ते रहिये, अपने साथ-साथ औरों को भी आगे बढाते रहिये. शुभकामनाएं.
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साथ ही आप मेरे ब्लोग्स पर सादर आमंत्रित हैं. धन्यवाद.
बहुत बढिया रचना और लिखती रहें। आपकी रचनाओं के बिंबों से अहसास होता है कि आप और उंचा उडेंगी। शुभकामनाएं।
रोशन जी कोयल की बोली सुनने को 1 महीने पहले तक तो मिल ही जाती थी जब मैं भारत में थी लन्दन में अभी ढूँढना बाकी है पर फिर भी वो आवाज आज भी मेरी ज़िन्दगी में शामिल है:)
कोयल की बोली की मीठास कम थी या शहद की पता नहीं
atulneeya
-----------------------Vishal
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