Tuesday, November 4, 2008

जब दिन ढला और रात आकर तुम्हे ले गयी,
तब पहली बार लगा मुझे सूरज से ज्यादा प्यार है !

4 comments:

siddheshwar singh said...

मेरे खयाल से यह 'लगना' ही कविता होना है.
बहुत बढ़िया. नियमित लिखें.शुभकामनायें.

Anonymous said...

kam shabdo me bahut badi baat kah dee.


Vishal

डॉ .अनुराग said...

बहुत खूब....

प्रदीप मानोरिया said...

बहुत खूब आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है