जब दिन ढला और रात आकर तुम्हे ले गयी,
तब पहली बार लगा मुझे सूरज से ज्यादा प्यार है !
Tuesday, November 4, 2008
Posted by सुरभि at 10:16 PM
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जब दिन ढला और रात आकर तुम्हे ले गयी,
तब पहली बार लगा मुझे सूरज से ज्यादा प्यार है !
Posted by सुरभि at 10:16 PM
4 comments:
मेरे खयाल से यह 'लगना' ही कविता होना है.
बहुत बढ़िया. नियमित लिखें.शुभकामनायें.
kam shabdo me bahut badi baat kah dee.
Vishal
बहुत खूब....
बहुत खूब आपका मेरे ब्लॉग पर स्वागत है
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