Friday, November 20, 2009

माय री ना तू मेहंदी लगाने की जिद कर
मुझे पहले से चढ़ा इश्क की मेहंदी का रंग
जो किसी दुकान में ढूंढे ना मिले
और जिसका रंग कभी ना फीका पड़े !

5 comments:

Udan Tashtari said...

बढ़िया.

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

सीधी और सच्ची बात कह दी आपने.

-Sulabh

दिगम्बर नासवा said...

लाजवाब और अच्छी रचना है ..........

प्रवीण शुक्ल (प्रार्थी) said...

सुरभि जी बहुत ही बेहतरीन भावो की अभिव्यक्ति साधारण शब्दों में आप ने जो आंतरिक उद्देल्नो को प्रदर्शित किया है बहुत बेहतरीन है आप[ के ब्लॉग पर पहली बार आया हूँ उम्मीद है येसी और रचनाये मिलती रहेगी
सादर
प्रवीण पथिक
9971969084

Pawan Nishant said...

bahut khoob.