Tuesday, August 3, 2010

प्यार मत करना

माँ कहती थी
प्यार मत करना
पापा कहते थे
लड़कों से दूर ही रहना
दीदी कहती थी
पापा का नाम खराब मत करना
हमारे जैसे घरों कि लड़कियां प्यार नहीं करती!

पर माँ-पापा-दीदी आपने ये तो कभी बताया ही नहीं
कि जब मन किसी से बंधने लगे तो क्या करना,
जब कोई बिना बताये ज़िन्दगी में शामिल हो जाये
तो उसको कैसे बाहर करना
और आपने ये भी तो नहीं बताया
कि प्यार न होने के लिए क्या करना?

2 comments:

रंजना said...

संभवतः उत्तर होता...

संयम,संयम,संयम...
न देखो कुछ भी...मन के द्वार की कुंडी लगा ,उसमे ताला जड़ चाभी फेंक दो किसी गहन वन में,जो कभी ढूंढें न मिले......

Rajendra Swarnkar : राजेन्द्र स्वर्णकार said...

सुरभि जी
नमस्कार !

बहुत भावुक क्षणों की रचना है …
जब मन किसी से बंधने लगे तो क्या करना ?
जब कोई बिना बताये ज़िन्दगी में शामिल हो जाये
तो उसको कैसे बाहर करना ?
प्यार न होने के लिए क्या करना ?


रंजनाजी ने बहुत सुंदर उत्तर सुझाया है …

लेकिन ,

दिल पर किसका जोर है दिल के आगे हर कोई हारा …

फिर भी , निर्णय लेने में परिपक्वता आवश्यक है ।
वरना … ज़माना ख़राब है !

- राजेन्द्र स्वर्णकार