Monday, July 26, 2010

पल



अंधियारी रात में
सड़क के किनारे
लेम्पपोस्ट के नीचे झरती
मद्धम मद्धम रौशनी में
बेंच पर बैठे
एक दूसरे को देखते
कुछ मुस्कुराते
कुछ आंसू लाते
कुछ बेफिक्र से बहते
कुछ गाते से पल
आँखों में ऐसे बस गए हैं
जैसे सीप में मोती !

2 comments:

सुधीर राघव said...

कुछ आंसू लाते
कुछ बेफिक्र से बहते
कुछ गाते से पल
आँखों में ऐसे बस गए हैं
जैसे सीप में मोती
bahu sunder

M VERMA said...

शानदार शब्दचित्र
मन को छूने वाला