Monday, August 23, 2010


ये मोहब्बत कि राह भी अजीब हैं
जब लगा मंजिल मिल गयी पता चला
अभी तो सफ़र शुरू हुआ ही नहीं !

3 comments:

Udan Tashtari said...

बहुत खूब!

संगीता पुरी said...

बहुत बढिया .. रक्षाबंधन की बधाई और शुभकामनाएं !!

रंजना said...

सही कहा....