तेरी नींद के लिए लुटाने पड़े
सपने मेरे ख़ज़ाने से तो सौदा बुरा नहीँ
तेरी आँखों की चमक के लिए लेनी पड़े
रोशनी उधार सूरज से तो भी सौदा बुरा नही
तेरी एक हँसी के लिए थामे रखने पड़े
आँसू अपनी आँखों मे तो भी सौदा बुरा नहीं!
Sunday, September 20, 2009
Posted by सुरभि at 10:00 PM 4 comments
Friday, September 4, 2009
तुमसे मिलने
आऊँगी मैं तुमसे मिलने
लाँघकर चीन की दीवार
तैर कर हिंद महसागर
पार कर अफ्रीका के जंगल भी
चढ़ कर एवरेस्ट की छोटी
उड़ कर आकाश में भी
नही झिझकुंगी एक बार भी
बनाने कबूतर को संदेशवाहक
या उल्लू को पथ प्रदर्शक में
मैं चिड़िया के पँखो पर हो सवार
आकाश पार कर तुमसे मिलने आऊँगी
मैं डाल्फिन पर बैठकर
सागर की गहराइयों को पार कर तुमसे मिलने आऊँगी
मैं जुगनू को साथ लेकर
अंधेरी रात में तुमसे मिलने आऊँगी !
Posted by सुरभि at 1:42 AM 7 comments
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