अंधियारी रात में
सड़क के किनारे
लेम्पपोस्ट के नीचे झरती
मद्धम मद्धम रौशनी में
बेंच पर बैठे
एक दूसरे को देखते
कुछ मुस्कुराते
कुछ आंसू लाते
कुछ बेफिक्र से बहते
कुछ गाते से पल
आँखों में ऐसे बस गए हैं
जैसे सीप में मोती !
Monday, July 26, 2010
पल
Posted by सुरभि at 8:13 PM 2 comments
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