एक कतरा आकाश, एक कतरा धरती,
दो किरणे सूरज,दो किरणे चांदनी की,
और बस दो बूँद तेरे इश्क की काफी है
ज़िन्दगी मुक्कमल करने के लिए !
Thursday, February 18, 2010
Posted by सुरभि at 6:43 PM
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
एक कतरा आकाश, एक कतरा धरती,
दो किरणे सूरज,दो किरणे चांदनी की,
और बस दो बूँद तेरे इश्क की काफी है
ज़िन्दगी मुक्कमल करने के लिए !
Posted by सुरभि at 6:43 PM
6 comments:
अरे वाह , बहुत खूब ।
बहुत खूब....क्या बात है!!
http://kavyamanjusha.blogspot.com/
बहुत सही.
वाह !!! वाह !!! वाह!!!
are vaah.....ye main kahaa chalaa aayaa....jaane ko jee nahin chaah rahaa ab....kyaa baat....kyaa baat....kyaa baat.....!!
कभी अजनबी सी, कभी जानी पहचानी सी, जिंदगी रोज मिलती है क़तरा-क़तरा…
http://qatraqatra.yatishjain.com/
Post a Comment