प्यार के दौर में
छूट जायेगा साथ मेरा
अपनी ही आत्मा से
ऐसा पता ना था
जब सोचा फुरसत में बैठकर
ये ब्रह्म ज्ञान पाया
मेरी आत्मा मेरे ही पास रहती
तो वो तुममे एकाकार कैसे होती ?
Sunday, October 23, 2011
:)
Posted by सुरभि at 6:31 PM 1 comments
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