Wednesday, January 26, 2011

तुम याद आते हो

रात के लम्बे सफ़र में
जब नींद नहीं आती
करवटे बदलते बदलते
तो तुम याद आते हो

खाना खाते खाते जब
कुछ गले में अटक जाता है
और कोई पानी नहीं लाता
तो तुम याद आते हो

रास्ते पर चलते चलते
जब थक कर जाती हूँ
तुम्हे थाम चलने को जी चाहता है
तो तुम याद आते हो

किसी से जब होता है झगडा
या किसी बात पर होता है मन खराब
तुम्हारे गले लगने को जी चाहता है
तो तुम याद आते हो

3 comments:

Mithilesh dubey said...

बहुत ही सुदंर अभिव्यक्ति लगी , बधाई

Vinod Rajagopal said...

Awesome!

M VERMA said...

यादों के बहाने अच्छे हैं