रात के लम्बे सफ़र में
जब नींद नहीं आती
करवटे बदलते बदलते
तो तुम याद आते हो
खाना खाते खाते जब
कुछ गले में अटक जाता है
और कोई पानी नहीं लाता
तो तुम याद आते हो
रास्ते पर चलते चलते
जब थक कर जाती हूँ
तुम्हे थाम चलने को जी चाहता है
तो तुम याद आते हो
किसी से जब होता है झगडा
या किसी बात पर होता है मन खराब
तुम्हारे गले लगने को जी चाहता है
तो तुम याद आते हो
Wednesday, January 26, 2011
तुम याद आते हो
Posted by सुरभि at 12:02 PM
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3 comments:
बहुत ही सुदंर अभिव्यक्ति लगी , बधाई
Awesome!
यादों के बहाने अच्छे हैं
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