एक पल ना ठहरी नींद मेरी आँखों में
तेरी यादें मोगरे सा तन महकाती रही
और मेरे मन से नज़में बहती रही !
Sunday, January 1, 2012
Posted by सुरभि at 7:17 PM 3 comments
Sunday, October 23, 2011
:)
प्यार के दौर में
छूट जायेगा साथ मेरा
अपनी ही आत्मा से
ऐसा पता ना था
जब सोचा फुरसत में बैठकर
ये ब्रह्म ज्ञान पाया
मेरी आत्मा मेरे ही पास रहती
तो वो तुममे एकाकार कैसे होती ?
Posted by सुरभि at 6:31 PM 1 comments
Saturday, May 28, 2011
तेरे बिन
खो जाते हैं शब्द जैसे
ग़ुम हो जाती है उल्काएं गगन से
सूख जाती है भावनाए मोसमी झरनों जैसे
नहीं बहती कवितायेँ मेरे मन से
जब तुमसे बात नहीं होती !
Posted by सुरभि at 8:33 PM 3 comments
Monday, March 21, 2011
Wednesday, January 26, 2011
तुम याद आते हो
रात के लम्बे सफ़र में
जब नींद नहीं आती
करवटे बदलते बदलते
तो तुम याद आते हो
खाना खाते खाते जब
कुछ गले में अटक जाता है
और कोई पानी नहीं लाता
तो तुम याद आते हो
रास्ते पर चलते चलते
जब थक कर जाती हूँ
तुम्हे थाम चलने को जी चाहता है
तो तुम याद आते हो
किसी से जब होता है झगडा
या किसी बात पर होता है मन खराब
तुम्हारे गले लगने को जी चाहता है
तो तुम याद आते हो
Posted by सुरभि at 12:02 PM 3 comments
Tuesday, January 18, 2011
Thursday, January 13, 2011
:)
तेरे होने का अहसास
हर पल एक बराबर मुझसे जुड़ा है
वक़्त जैसे हर पल हर लम्हे में बराबर बटा है
किसी हिस्से में ना कम ना ज्यादा हुआ है
ऐसे ही तू कहीं रहे, किसी के साथ हो
हर किसी को बस पूरा मिला है :)
Posted by सुरभि at 7:37 PM 4 comments